हर्निया
यह रोग शरीर के कई भागो में होता है | मुख्यरूप से पेट से सम्बन्धित होता है | पेट में आँते स्वाभाविक ही अपने अपने स्थान पर रहती है | पर गलतियों की वजह से जब पेट के किसी बाहरी भाग से आँत उभर आए तो उस आँत को दबाकर रखने से वह अन्दर चली जाती है और छोड़ने से बाहर आ जाती है, ‘इसको’ हर्निया कहते है | ठीक ऐसे ही जब बदपरहेजी की वजह से पेट की आंतो के अन्दर सूजन आ जाती है और मल जमा हो जाता है तब पेट बढ़ जाता है तो पेट की आँत बाहर निकल आती है इसको हर्निया कहते है |
आधुनिक चिकित्सा में जहां आँत बाहर निकली वहाँ टांके लगाकर ऑपरेशन कर दिया जाता है | परन्तु बढे हुए पेट के कारण अन्दर बढ़ते हुए दबाव से आँत किसी दूसरी जगह बाहर आ जाती है | इसलिए यह रोग अधिकतर लोगो को ऑपरेशन करवाने पर भी दुबारा फिर हो जाता है | प्राक्रतिक जीवन शैली में इसका स्थायी समाधान सम्भव है | इस शैली को अपनाने से पेट आंतो की सूजन उतर जाएगी और जमा हुआ मल अपना स्थान छोड़ देगा | पेट अन्दर की तरफ चले जाने पर पेट का दबाव बाहर की तरफ काफी कम हो जाएगा जिससे आँत बाहर नहीं निकलेगी और स्थायी समाधान हो जाएगा | हर्निया के लिये कुछ विशेष प्रकार के सरल व्यायाम करने से लाभ होता है इसकी जानकारी के लिये पूज्य गुरुदेव जी के पं . के . लक्षमण शर्मा जी की पुस्तक प्रैक्टिकल नेचर क्योर अध्यन करे |