वायु से लाभ
हमारे शास्त्रों में वायु को प्राणवायु का स्थान दिया गया है यह शरीर के लिए अति आवश्यक होने के बावजूद भी हम इसकी परवाह नहीं करते | अगर किसी व्यक्ति को भोजन दो दिन न मिले तो भी शरीर का काम चल जाएगा, लेकिन अगर वायु दो मिनट भी न मिले तो क्या होगा | हमारे घरो में खिड़कियाँ और रोशनदान है, हम खोलते तक नही सर्दियों में सर्द हवा आती है और गर्मियों में गर्म | हम अधिकतर झुककर या पीछे की तरफ तकिया लगा कर बैठते है, जिससे हमारे फेफड़ो को आधी श्वास मिलती है | हम नरम गद्दों पर लेटते है हमारा सिर और टांगे हलकी होती है और बीच का हिस्सा भारी होने के कारण हम रात भर झूले में पड़े रहते है |
परिणामस्वरूप हमारे फेफड़ो को आधी श्वास मिलती है | जब भी बैठे
सीधे बैठे और सोते समय तख़्त पर या जमीं पर बिस्तर लगा कर सोए |
वायु से अधिक लाभ हम दो तरह से ले सकते है |
1 पाराणायाम द्वारा 2 वायु स्नान द्वारा
प्राणायाम करते समय सावधानियां
· पेट खाली होना चाहिए | सुबह और शाम का समय उचित है |
· शरीर को उचित काय – स्थिति में, मेरुदण्ड को सीधा रखकर प्राणायाम करे | सबसे उत्तम सीधे बैठकर सुखासन, सिध्दासन या पद्मासन में करे | यदि ऐसा न कर पाए तो सीधे खड़े होकर या की अवस्था में (शरीर में ताकत कम हो तो) सीधे लेटकर भी किया जा सकता है |
· सूती, ढीले, सफेद, या हल्के वस्त्र पहनकर करे |
· शांत वातावरण में अकेले ही करे |