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पित्ताशय की पथरी
Posted by arpit on March 29, 2016
Category : Health  | Tags : health | Views : 165




शरीर में लीवर द्वारा ग्लूकोज से जो पित्तरस बनाया जाता है वह पित्ताशय (Gall Bladder) में इकठ्ठा होता है | पित्ताशय में से पित्तरस बूँद – बूँद झर कर आंत में आता है |


पित्ताशय की पथरी

शरीर में लीवर द्वारा ग्लूकोज से जो पित्तरस बनाया जाता है वह पित्ताशय (Gall Bladder) में इकठ्ठा होता है | पित्ताशय में से पित्तरस बूँद – बूँद झर कर आंत में आता है | जो गरिष्ठ भोजन (जैसे आनाज, दाल, दूध, से बने पदार्थ, मिठाइयाँ आदि) आमाशय में नहीं पचता, उसको पचाने के लिये पित्तरस मदद करता है | जब व्यक्ति के भोजन में अनाज, दाले, दूध से बने पदार्थ अधिक मात्रा में होते है तो ग्लूकोज अधिक मात्रा में बनाता है | जिससे पित्तरस भी निकलता है जो की पित्ताशय में इकठ्ठा होता है | पित्ताशय की धारण क्षमता लगभग 50 ग्राम होने के कारण पित्तरस गाढ़ा होता जाता है | पित्तरस गाढ़ा होने से वह क्रिस्टल शक्ल में आ जाता है | जिसको पित्ताशय की पथरी कहा जाता है | इसलिए पित्ताशय में असंख्य पथरियां होती है | जिनको निकालना असम्भव होने कारण ऑपरेशन के समय आमतौर पर पूरे पित्ताशय को निकालना पड़ता है | पित्ताशय को निकाल देने से छोटी आंत को पित्तरस मिलना बंद हो जाता है | परिणामस्वरूप व्यक्ति को गरिष्ठ भोजन नहीं पचता और जिससे जीवनभर उसे सादा भोजन पर ही रहना पड़ता है |

प्राक्रतिक जीवन पध्दति में प्राक्रतिक भोजन लेने से पित्तरस की मात्रा बननी कम हो जाती है |

धीरे – धीरे पित्ताशय में पड़ा पित्तरस (क्रिस्टल शक्ल वाला) पतला होना शुरू हो जाता है और पथरी का ईलाज हो जाता है | व्यक्ति को पित्ताशय की पथरी, गुर्दे की पथरी की तरह निकलती दिखाई नहीं देती परन्तु असहनीय दर्द बन्द हो जाता है | 


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