Home| Health |Beauty Tips |Diseases |Yoga Tips |Ayurveda |Women Health |
Top Voted |  Top Viewed | 
Ayurveda  

TODAY'S POLL
  We should drink water with food?  
     
  Yes  
  No  
  Cant Say  
     
   
     

  NEWSLETTER  
 
Sign up our free newsletter.
 
     
0
Vote
कफ दोष लक्षण और उपचार
Posted by arpit on February 24, 2016
Category : Ayurveda | Tags : कफ | Views : 288




कफ शरीर के उपरी भाग में होता है जैसे : सिर, नाक, गले, छाती, फेफड़े, नसों, मुख में होता है । कफ दोष की प्रमुखता वाले व्यक्ति का शरीर भारी, ठोस या बड़ा होता है


कफ की विशिष्टताए :
कफ शरीर के उपरी भाग में होता है जैसे : सिर, नाक, गले, छाती, फेफड़े, नसों, मुख । 
कफ दोष की प्रमुखता वाले व्यक्ति का शरीर भारी, ठोस या बड़ा होता है उनकी त्वचा मोटी और चिकनी होती है  जिनमे थोड़ी झुर्रिया होती है उनका रंग गोरा होता है और उनके बाल तैलीय, घने और घुंघराले होते है । 
 
कफ दोष  वाले व्यक्तियों का खान पान कम होता है और उनका पाचन तंत्र धीमा होता है । कफ दोष वाले व्यकि को बाजार की चीजे पसंद होती है और ये भोजन बनाने के भी शौकीन होते है । इनमे सहनशीलता काफी होती है जबकि वे सुस्त और आलसी होते है । या उनके लिए कार्य पूरा करना मुश्किल होता है उनकी नींद गहरी होती है वे काफी सोते है उनका चेहरा हसमुंख होता है और उनकी आवाज अच्छी होती है । 
 
कफ बढ़ने के कारण
 
 
कफ स्वरूप वाले भोज्य पदार्थो का अत्यधिक सेवन जैसे- चीनी वसायुक्त पदार्थ जिनमे मांस दुग्ध उत्पाद (दूध, मक्खन, दही, पनीर, क्रीम, चॉकलेट ) बादाम , केले, आम, खरबूजा, पपीता, चावल, डबलरोटी, जलीय खाघ सामग्री और तरल पदार्थो का उपयोग शामिल है 
 
दुःख या उदासी के महसूस होने पर भोजन करना या लालची होना 
 
कफ  के विकार  के लक्षण 
 
कफ की बढ़ोतरी के कारण अनेक प्रकार की बीमारिया हो सकती है । रक्त के थक्के बनना भारीपन, आलस्य के लक्षण वाली स्थिति जैसे - दमा, खासी,  जुकाम आना उबकाई आना गले या फेफड़े में बलगम होना छाती सिकुड़न अपच कफ की अधिकता से संबंधित है 
 
कफ को संतुलित करने के उपचार
 
कफ की अधिकता को संतुलित करने के लिए उसके विपरीत प्रकृति वाले भोज्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए । वात या पित्त की प्रकृति(हल्का, मसालेदार, अम्लीय, गर्म ) वाले भोज्य पदार्थ खाने चाहिए । 
 
फूलगोभी, पालक, फली, सलाद, और अधिकतर मसालों  को भोजन में शामिल किया जाना चाहिए
 
भड़कीले और उत्तेजक रंग  उदाहरण  : लाल, केसरिया, और सुनहरा रंग, लौंग, तुलसी के पत्ते से तैयार तेल, पुखराज या ओपल( रंगदीप्त )रत्न  

 


Back
Copyright © 2016 goodhealthtips.in        |