मासिक धर्म सम्बन्धी विक्रतियाँ
मासिक धर्म सम्बन्धी विकारों में जैसे दर्द ऐठन होना, अनियमित रूप से आना कम या अधिक आना सभी तीनो दोषों के प्रकोप से सम्बन्धित होते है | इसमें मुख्य दोष वात रहता है |
आहार
खट्टे तले हुए खाघ पदार्थ और गरिष्ठ भोजन को मासिक धर्म की अवधि में नहीं लेना चाहिए | ऐसा भोजन जिससे कब्ज या वात का प्रकोप हो उनको उपयोग में नहीं लेना चाहिए |
जड़ी - बूटियाँ
· पिसे हुए लहसुन के साथ 2 लौंग दिन में दो बार ले सकते है ऐसे खाने साथ भी लिया जा सकता है |
· घृतकुमारी का गूदा एक बड़ा चम्मच थोड़ी सी कलि मिर्च या दालचीनी के साथ लिया जा सकता है | इसे दिन में दो बार ले या जब तक ऐठन नहीं रुक आती सेवन करे |
· मासिक स्त्राव के पहले दिन से जीरे से बना (काढा) लिया जा सकता है |
· ताजा अदरक से बनी चाय या एक चम्मच सोंठ के चूर्ण को एक कप पानी में गर्म कर लेने से भी लक्षणों में कमी आती है |
व्यायाम
इस अवस्था में आराम करना जरूरी होता है लेकिन स्वस्थ रहना और नियमित व्यायाम करना लाभदायक होता है |
अन्य उपाय
मासिक शुरू होने की निर्धारित तिथि से पूर्व दो दिन तक विरेचक औषधि (लेक्सेटीव) लेना विकृत वात के लक्षणों का शमन करता है | पेट के निचले भाग को गर्म तिल तैल से 10 15 मिनट तक मालिश कर गर्म पानी की थैली (बोतल) जैसी वस्तु से सेक करना ऐठन को कम कर सकता है |
- अनियमित माहवारी पीरियड क्या होता है?
अनियमित माहवारी पीरियड वह होता है जिसमें अवधि एक चक्र से दूसरे चक्र तक लम्बी हो सकती है, या वे बहुत जल्दी-जल्दी होने लगते हैं या असामान्य रूप से लम्बी अवधि से बिल्कुल बिखर जाते हैं। किशोरावस्था के पहले कुछ वर्षों में अनियमित पीरियड़ होना क्या सामान्य बात है?हां, शुरू में पीरियड अनियमित ही होते हैं। हो सकता है कि लड़की को दो महीने में एक बार हो या एक महीने में दो बार हो जाए, समय के साथ-साथ वे नियमित होते जाते हैं।